चौमुखनाथ धाम में चल रहे 7 दिवसीय रूद्र महायज्ञ का हुआ समापन, वृहद भंडारे में उमड़े श्रद्धालु
देवकली। क्षेत्र के धुआर्जुन स्थित बाबा चौमुखनाथ धाम परिसर में चल रहे सात दिवसीय रुद्र महायज्ञ का समापन किया गया। इस दौरान अंतिम दिन प्रवचन करते हुए महायज्ञ के आयोजक संत जयप्रकाश दास फलहारी ने कहा कि ईश्वर एक है लेकिन उसे पाने के लिए रास्ते अनेक हैं। कहा कि उसे मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारा में ढूंढना नहीं पड़ता। क्योंकि वो हर जगह विद्यमान है। हमारे, आपके और हर किसी के अंदर ईश्वर मौजूद हैं लेकिन शरीर की आंखों से उन्हें देखा नहीं जा सकता। एक सच्चा सद्गुरु ही ईश्वर का दीदार करा सकता है। कहा कि कलयुग के भवसागर से पार होने के लिए श्रीराम कथा एक नौका है। श्रीराम के शासन में सभी लोगों का सम्मान होता था तो दूसरी तरफ रावण दरबार में माल्यवन्त जैसे लोगों का भी अपमान होता था। कहा कि अयोध्या में काम, क्रोध और लोभ तीनों आए। दशरथ को काम आया, कैकेयी को क्रोध आया और मंथरा को लोभ आया। जब तीनों एक साथ आए तो दशरथ की इच्छा से राजा बनने जा रहे श्रीराम को उनकी ही इच्छा से वनवास भी जाना पड़ा। कथा के पश्चात वृहद भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें दूर दराज से आए हजारों लोगों ने प्रसाद लिया। इसके बाद संतों को अंगवस्त्र दिया गया। इस मौके पर बेचन राय, पंकज राय, अवधेश चौहान, सुधीर पाण्डेय, रामाश्रय, रामजन्म, दीनदयाल चौहान, बबलू राजभर आदि रहे।