सैदपुर में जनसेवा केंद्र संचालक से 5100 रूपए की ठगी, जखनियां के नायब तहसीलदार ने पीड़ित पर कोतवाली में बनाया दबाव
सैदपुर। नगर के एक जनसेवा केंद्र संचालक के साथ ही अज्ञात ठग ने ठगी करते हुए उससे 5100 रूपए दूसरे के खाते में डलवा लिए और फरार हो गया। मौके से संचालक ने उसके साथ आए युवक को उसका साथी बताते हुए पुलिस के हवाले कर दिया। उक्त युवक जखनियां के एक लेखपाल का भांजा निकला, जिसके बाद जखनियां के नायब तहसीलदार सहित सैदपुर के नायब तहसीलदार, जखनियां के कई लेखपाल व सैदपुर के कई लेखपाल कोतवाली में पहुंच गए। इसके बाद जखनियां के नायब तहसीलदार दबाव देकर आखिरकार उक्त युवक को अपने साथ ले जाने में सफल हो गए। घटना के बाद पीड़ित द्वारा तहरीर देने की बात कही गई। सैदपुर क्षेत्र निवासी अजीत प्रताप सिंह रामलीला मैदान के पास जनसेवा केंद्र चलाता है। उसने बताया कि रविवार होने की वजह से उसने काफी देर से केंद्र खोला। इसके बाद वहां एक बाइक से दो युवक आए और एक ने अर्जेंट बताते हुए किसी के खाते में 5100 रूपए भिजवाए। इसके बाद जब रूपए मांगे तो उसने कहा कि अभी देता हूं। जिसके बाद अजीत ने कहा कि बिना रूपए दिए नहीं जाना है। इसके बाद उसने साथ आए उक्त युवक को वहीं छोड़कर व अपनी बाइक की चाबी वहीं छोड़कर कहा कि मैं अभी रूपए लेकर आ रहा हूं। पहचानने के बाबत पूछने पर साथ आए युवक ने कहा कि वो उसके साथ ही है। इसके बाद ठग वहां से फरार हो गया तो उक्त युवक भी जाने लगा। जब संचालक ने रोका तो कहा कि वो उसके साथ नहीं आया था। इसके बाद संचालक को शंका हुई तो वो उक्त युवक को लेकर थाने गया। पूछताछ में युवक ने अपना नाम प्रदीप यादव निवासी नंदगंज बताया। बताया कि उसका घर नंदगंज में है लेकिन वो अपने मामा दिनेश यादव के घर सीतमपुर मलौरा में शुरू से ही रहता है। बताया कि उसके मामा दिनेश जखनियां तहसील में लेखपाल हैं। बताया कि वो अपने मामा के घर जा रहा था। इस बीच उक्त बाइक से लिफ्ट ले लिया था। उसने कहा कि वो वाराणसी तक जाएगा। इस बीच सैदपुर में रूककर उसने कहा कि रूपए लेकर अभी आ रहा है। इधर सूचना पाकर वहां जखनियां व सैदपुर तहसील के करीब दर्जन भर लेखपाल, सैदपुर के नायब तहसीलदार विजयकांत पांडेय व जखनियां के नायब तहसीलदार विवेकानंद सिंह पहुंच गए। परिसर में ही जखनियां के नायब तहसीलदार पुलिस के सामने ही अजीत यादव पर दबाव बनाने लगे और उल्टा उसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात प्रदीप को कही। कहा कि प्रदीप किस तरह से इसमें मिला हुआ है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है। जिस पर एसएसआई विक्रम प्रताप ने कहा कि ये बिना जांच के कैसे कहा जा सकता है कि वो मिला था या नहीं। क्योंकि जिस तरह से घटना हुई है उसमें प्रदीप संदिग्ध है। वहीं पीड़ित अजीत ने कहा कि जब वो दोनों मिले हुए नहीं थे तो उसने मेरे सामने क्यों कहा कि वो उसके साथ आया है। इसके बाद बाइक भी चोरी की लग रही थी। क्योंकि बाइक का नंबर वाराणसी का था और उसके चेसिस के दो अंक खुरचे हुए थे। इसके अलावा बाइक में कोई भी चाबी लग जा रही थी। आखिर में सैदपुर के नायब तहसीलदार विजयकांत पांडेय व कुछ लेखपालों ने बीच का रास्ता दिया कि आरोपी प्रदीप द्वारा रूपए पीड़ित को अपने पास से दे दिए जाएं और जब पुलिस असली ठग का पता लगा लेगी और इसमें प्रदीप का कोई रोल नहीं होगा तो अजीत रूपए प्रदीप को वापिस कर देगा। इस बात को कागज पर दोनों पक्ष लिखित रूप से देंगे। इस बात पर प्रदीप व उसके मामा दिनेश सहमत होकर रूपए देने भी लगे, लेकिन तभी जखनियां के नायब तहसीलदार विवेकानंद सिंह ने रूपए देने से मना करते हुए कहा कि प्रदीप रूपए क्यों देगा, जब पुलिस असली ठग को पकड़ेगी तभी कुछ होगा। इसके बाद वो अजीत को तहरीर देने की बात कहकर प्रदीप को साथ लेकर चले गए। बहरहाल, थाने के अंदर इस तरह से एक अधिकारी द्वारा पीड़ित पर ही दबाव बनाए जाने की खूब चर्चा है।