ईश्वर एक है लेकिन उसे पाने के रास्ते अनेक हैं, सच्चे सद्गुरू के जरिए हो सकता है दीदार - घनश्यामाचार्य





देवकली। क्षेत्र के धनईपुर में चल रहे 9 दिवसीय रुद्र महायज्ञ में प्रवचन करते हुए महायज्ञ के आयोजक संत घनश्यामाचार्य बालक स्वामी ने कहा कि ईश्वर एक है लेकिन उसे पाने के लिए रास्ते अनेक हैं। उसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में नहीं ढूंढना पड़ता है। कहा कि ईश्वर सभी जगह विद्यमान है और हमारे अन्दर भी मौजूद है लेकिन इन भौतिक आंखों से उसे देखा नहीं जा सकता है। कहा कि सच्चा सद्गुरु ही ईश्वर का दीदार करा सकता है। श्री बालक स्वामी ने कहा कि संसाररूपी भवसागर से पार होने के लिए श्रीराम कथा नाव का काम करती है। कहा कि रामराज में सभी लोगों का सम्मान होता था, वहीं दूसरी तरफ रावण दरबार में माल्यवन्त जैसे लोगों का भी अपमान होता था। कहा कि अयोध्या में काम, क्रोध, लोभ तीनों आये। दशरथ को काम आया तो कैकेई को क्रोध आया और मंथरा को लोभ आया। दशरथ श्रीराम को राजा बनाने चाहते थे लेकिन जब तीनों विकार सवार हुए तो श्रीराम को भी वनवास जाना पड़ा। बताया कि कथा के बाद हर रोज रात 8 से 12 बजे तक वृन्दावन की मशहूर रासलीला मंडली द्वारा श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित रासलीला का मंचन किया जा रहा है।



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