एक सप्ताह बाद भी लोगों में श्रीरामलला की भक्ति का खुमार, फोटो, कैलेंडर व प्रतिमाओं से पटे बाजार





खानपुर। अयोध्या के अपने गर्भ गृह धाम में श्रीराम भगवान की मूर्ति का साक्षात दर्शन करने को लोग लालायित हुए जा रहे हैं। रामलला विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा को एक सप्ताह पूर्ण होने को है और अभी भी सनातनी लोगों के मन मस्तिष्क पर श्रीरामलला के मूर्ति की खुमारी छायी हुई है। बाजारों में श्रीराम के उसी श्यामल मूर्ति की फोटो, कैलेंडर और प्रतिमा सहित तस्वीरों को मांग बढ़ गई है। पटना स्थित रामानंद मठ के महंत देवानंद महाराज ने कहा कि सवा चार फीट की रामलला की प्रतिमा के मस्तक पर सूर्य, स्वास्तिक, ओम, गदा और चक्र शोभायमान है। मूर्ति में मत्स्य, कूर्म, वाराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतार बने हुए है। निचले स्थान पर दाहिने तरफ हनुमान और बाएं तरफ गरुड़राज विद्यमान होकर श्रीहरि के सम्पूर्ण जीवन चक्र को दर्शा रहे हैं। गौरी पर्णकुटी के महंत अरुणदास ने कहा कि पांच वर्षीय बालक रामलला की अद्भुत मूर्ति में रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण में वर्णित काया की झलक दिखाई पड़ती है। नीलकमल जैसी आंखें, चंद्रमा की तरह चेहरा, घुटनों तक लंबे हाथ, होठों पर निःश्चल मुस्कान, दैवीय सहजता के साथ गंभीरता जो इस जीवंत मूर्ति, जो देखते ही मन को भा जाए। जिस स्वरूप को एकटक देखने के बाद भी आंखें तृप्त होने के बजाय प्यासी ही रहें। संस्कृत आचार्य बालकृष्ण पाठक ने कहा कि रामलला श्याम वर्ण के थे इसलिए उन्हें श्यामशिला में उकेरा गया। जहां उनकी मोहक मुस्कान और गर्वित सौम्य चेहरा सूर्यवंशियों के तेज की तरह चमक रहा है। शताब्दियों से सनातनियों को अयोध्याधाम में अपने श्रीराम प्रभु का दर्शन करने की आस अब पूर्ण हो रहा है।



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