जिले भर में मनाया गया कुष्ठ दिवस, जिला कुष्ठ अधिकारी को राजधानी में किया गया सम्मानित
गोरखपुर। कुष्ठ का उपचार ले चुके या उपचाराधीन कुष्ठ रोगी से समाज में संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। ऐसे लोगों के साथ न सिर्फ रहा जा सकता है, बल्कि उनके साथ विवाह भी किया जा सकता है। समाज को खतरा उन रोगियों से है जो लक्षण के बावजूद भय, भ्रांति, कलंक और भेदभाव के कारण कुष्ठ की जांच नहीं करा पाते हैं। इस संदेश के साथ साथ ‘भेदभाव का अंत करें, सम्मान को गले लगाएं’ की थीम को साकार करने का पूरे जिले में मंगलवार को संकल्प लिया गया। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया गया। साथ ही 14 दिनों तक चलने वाला स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान भी शुरू हो गया। इस दौरान कुष्ठ उन्मूलन में बेहतर योगदान के लिए जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ गणेश यादव को लखनऊ में हुए एक समारोह के दौरान प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा और राज्य कुष्ठ अधिकारी डॉ जया देहलवी द्वारा सम्मानित भी किया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे के दिशा निर्देशन में जिले का मुख्य आयोजन जिला कुष्ठ अधिकारी कार्यालय पर किया गया जहां कुष्ठ निवारण की शपथ दिलाई गयी। इस संबंध में जिलाधिकारी का संदेश भी सभी लोगों को पढ़कर सुनाया गया। जिले की सभी सीएचसी, पीएचसी और ब्लॉक पर अधिकारियों और कर्मचारियों ने कुष्ठ मुक्त जनपद के लिए जनजागरूकता की शपथ ली। जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता ने कहा कि कुष्ठ रोग से जुड़े कलंक और भेदभाव की समस्या को दूर करने के लिए 30 जनवरी 2017 से स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान की पूरे देश में शुरूआत की गयी थी। इसके तहत 14 दिनों तक स्कूल, कॉलेज, ग्राम सभा, स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े सत्र स्थलों और विभिन्न सामुदायिक प्लेटफार्म के जरिये लोगों को बीमारी के लक्षणों और उपचार के बारे में जानकारी दी जाएगी। उन्हें बताया जाएगा कि कुष्ठ के लक्षण दिखने पर आशा, एएनएम या बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता की मदद से स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराएं और सम्पूर्ण इलाज पाएं। डॉ गुप्ता ने बताया कि पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोग का इलाज छह माह में और मल्टी बेसिलाई (एमबी) कुष्ठ रोग का इलाज साल भर में पूरा हो जाता है। समय से जांच और इलाज न करवाने पर यह बीमारी दिव्यांगता और विकृति का रूप ले सकती है। कुष्ठ अधिक संक्रामक बीमारी नहीं है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से नहीं पहुंचता है। एक बार उपचार शुरू होने के बाद संक्रमण की आशंका शून्य हो जाती है। इसका उपचार सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों पर उपलब्ध है। कुष्ठ रोगी को परिवार और समुदाय से अलग नहीं करना है। वे सामाजिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा ले सकते हैं। इस मौके पर नान मेडिकल असिस्टेंट (एनएमए) महेंद्र चौहान, फिजियोथेरेपिस्ट आसिफ खां, अवध नारायण, खदीजा परवीन आदि रहे।