गाजीपुर में वीर बाल दिवस के रूप में मनी सिख समुदाय के 10वें धर्मगुरू की माता व दोनों बच्चों का शहादत दिवस





गाजीपुर। सिख समुदाय के 10वें व अंतिम धर्मगुरु गुरु गोविंद सिंह की माता गुजरी देवी व उनके दो अबोध पुत्रों जोरावर सिंह व फतेह सिंह के शहादत दिवस को भाजपा ने वीर बाल दिवस के रूप में मनाया। इस दौरान जिला कार्यालय पर गोष्ठी आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके अलावा महाजन टोली स्थित गुरुद्वारे में वीर बाल दिवस मनाया गया। इस दौरान बतौर मुख्य अतिथि जिपं अध्यक्ष सपना सिंह ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह के छोटे बच्चों ने अपनी आस्था और सभ्यता की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। ये उनकी कहानियों को याद करने का दिन और ये जानने का दिन है कि कैसे उनको दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया। सरसा नदी के तट पर एक लड़ाई के दौरान दोनों शहजादों को मुगल सेना ने बंदी बना लिया था और लाख प्रयत्न के बावजूद उन वीर बालकों ने जब इस्लाम धर्म को स्वीकार नहीं किया तो 9 व 7 साल की उम्र में उन दोनों बालकों को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी 2022 को गुरु गोविंद सिंह की जयंती पर यह घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को सिख गुरु के बेटों की शहादत को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। नपा अध्यक्ष सरिता अग्रवाल ने कहा कि 1699 में गुरू गोविंद सिंह द्वारा धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। कहा कि गुरु गोविंद सिंह के चारों बेटे अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह इसी पंथ का हिस्सा थे। उन चारों को 7 से 19 वर्ष की ही अवस्था में मुगल शासकों द्वारा मार डाला गया था। उनकी शहादत का सम्मान करने के क्रम में प्रत्येक वर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही हैं। इस मौके पर गुरुद्वारा प्रमुख सरदार दर्शन सिंह, चरणजीत सिंह, देवेंद्र पाल सिंह, विनोद अग्रवाल, रास बिहारी राय, सुनील गुप्ता, संजीव गुप्ता, अविनाश सिंह, नितीश दुबे, शशिकांत शर्मा, मयंक जायसवाल, संतोष जायसवाल, विजय राय मुन्ना, अजय कुशवाहा, नंदू कुशवाहा आदि रहे। संचालन अभिनव सिंह छोटू ने किया।

इसी क्रम में भाजपा द्वारा धरीकलां गांव में गोष्ठी का आयोजन किया गया और शहादत को याद किया गया। इस मौके पर शशिकान्त शर्मा, अच्छेलाल गुप्ता, सुरेश बिन्द, मुरली कुशवाहा, रामजी बलवंत, उदय प्रताप सिंह मन्नू, प्रदीप बिंद, गोरखनाथ विश्वकर्मा आदि रहे। अध्यक्षता गोपाल राय व संचालन मनोज बिंद ने किया।



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