गर्भवतियों की मददगार बन रही हैं आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, उनके सही सलाह से संवर रही जिंदगी
गोरखपुर। अग्रिम पंक्ति की कार्यकर्ता आशा और आंगनबाड़ी की सलाह से बच्चे की योजना बनायी जाए और गर्भावस्था के दौरान उनकी मदद ली जाए तो जिंदगी संवर सकती है। वह गर्भवती की सच्ची मददगार बन रही हैं और उनके जीवन में स्वास्थ्य और पोषण की रोशनी बिखेर रही हैं। अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ता हमेशा इस बात की सलाह देती हैं कि पहला बच्चा शादी के दो साल बाद हीहोना चाहिए और गर्भावस्था के दौरान महिला की सही देखभाल आवश्यक है। इसका फायदा भी समुदाय को मिल रही है। महानगर के अलवापुर बुलाकीपुर की रहने वाली ज्योति की शादी वर्ष 2014 में हुई। उनके पति प्राइवेट नौकरी करते हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता स्नेहलता की सलाह पर उन्होंने गर्भावस्था में छाया ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) के सत्रों में प्रतिभाग किया। वह बताती हैं कि इन सत्रों में स्वास्थ्य की जांच तो होती ही थी, साथ में यह भी बताया जाता था कि दाल, रोटी, दूध, फल और हरि सब्जियों का ही सेवन करना है। उन्होंने चिकित्सक की सलाह मानी। खुद का टीकाकरण भी करवाया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की ही सलाह पर प्रसव जिला महिला अस्पताल में करवाया। स्वास्थ्य की देखरेख और सही पोषण मिलने से वर्ष 2020 में सुपोषित बच्चा पैदा हुआ। बच्चे को भी उन्होंने छह माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान करवाया। जब बच्चा छह महीने का हो गया तो उन्होंने दलिया और मसला हुआ आहार बच्चे को देना शुरू किया। उनका बच्चा स्वस्थ है। भटहट ब्लॉक के चिलबिलवा गांव की रहने वाली सोनल (24) बताती हैं कि जब उनकी शादी हुई तो गांव की आशा कार्यकर्ता शोभा गुप्ता ने उन्हें बताया था कि गर्भावस्था की सूचना सबसे पहले उन्हें अवश्य दें। सोनल को जब पहला बच्चा होने को था तो उन्होंने आशा को जानकारी दी। आशा कार्यकर्ता उन्हें साथ लेकर भटहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गईं। वहां प्रसव पूर्व जांच के अलावा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीआई) में पंजीकरण भी करवा दिया। अक्टूबर 2019 में सोनल के खाते में योजना के तहत प्रथम दो किश्त के 3000 रुपये आए। इन पैसों से सोनल ने खुद के लिए मेवा, फल, दाल, सोयाबीन, दूध जैसे पौष्टिक आहार का इंतजाम किया और अच्छा आहार लिया। उनका पहला बच्चा जब 90 दिन का हो गया और उन्होंने बच्चे को पेंटा का टीका लगवाया। इसके बाद बचे हुए 2000 रुपये की किश्त भी आ गयी। इस पैसे से उन्होंने बच्चे के दूध व फल सब्जियों आदि का इंतजाम किया। सोनल का कहना है कि इस योजना की सुविधा दूसरे बच्चे में भी सरकार को देनी चाहिए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला डेटा प्रबंधक पवन कुमार गुप्ता बताते हैं कि 1 अप्रैल 2021 से जुलाई 2022 तक कुल 76 हजार 60 वीएचएसएनडी सत्र आयोजित किये गये। इन सत्रों में करीब दो लाख गर्भवती को प्रसव पूर्व जांच व टीकाकरण की सुविधा दी गयी। करीब 1.45 लाख बच्चों को भी नियमित टीकाकरण से आच्छादित किया गया। इसी प्रकार एक जनवरी 2017 से जुलाई 2022 तक करीब 1.04 लाख महिलाओं को पीएमएमवीआई के तहत पंजीकृत किया गया। लाभार्थियों को पोषण के लिए योजना के तहत करीब 39.13 करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं। सीएमओ डॉ आशुतोश कुमार दूबे ने कहा कि सरकार द्वारा गर्भवती और धात्री के लिए चलाई जा रही योजनाओं से उनको जोड़ने में आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की अहम भूमिका है। गर्भवती होने के साथ ही इनकी मदद लेकर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना, पीएमएमवीआई, जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम और अन्य योजनाओं का लाभ लेना चाहिए।