महान योद्धा आल्हा की मनाई गई जयंती, पराक्रम को किया गया याद
खानपुर। क्षेत्र के फरिदहां में बुंदेलखंड के महान योद्धा आल्हा की जयंती मनाई गयी। क्षत्रिय महासभा युवा के पदाधिकारियों ने मनीष सिंह के आवास पर आल्हा के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके वीरता का गुणगान किया। अरुण प्रकाश सिंह ने कहा कि आल्हा और ऊदल चन्देल राजा परमल के सेनापति दसराज के वीर पुत्र थे और चन्द्रवंशी क्षत्रिय कुल के बनाफर वंश में जन्म लिया। कहा कि मध्यकाल में आल्हा और ऊदल की वीरगाथा क्षत्रिय शौर्य का प्रतीक दर्शाती है। कमलेश सिंह पिंटू ने कहा कि अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए पृथ्वीराज चौहान से युद्ध करते हुए ऊदल वीरगति प्राप्त हुए तो आल्हा अपने छोटे भाई की वीरगति की खबर सुनकर अपना आपा खो बैठे। आल्हा पृथ्वीराज चौहान की सेना पर मौत बनकर टूट पड़े और घंटों घनघोर युद्ध के बाद पृथ्वीराज और वीर आल्हा एक दूसरे के आमने सामने आ गए। दोनों शूरवीरों में भीषण युद्ध हुआ पृथ्वीराज चौहान बुरी तरह घायल हुए तो आल्हा के गुरु गोरखनाथ के कहने पर आल्हा ने पृथ्वीराज चौहान को जीवनदान दे दिया। बुन्देलखण्ड के इस महान योद्धा आल्हा ने जब नाथ सम्प्रदाय का पन्थ स्वीकार किया तब गुरु गोरखनाथ ने आल्हा को अमर होने का वरदान दिया। इस दौरान विलुप्त हो रही आल्हा गायकी के मशहूर गायक मो. हनीफ ने आल्हा गायन कर लोगों को रोमांचित कर दिया। इस मौके पर सतीश सिंह, जितेंद सिंह, नखड़ू सिंह, राजकुमार, ओमप्रकाश पाठक, अभिषेक सिंह आदि रहे।