आस्था व विश्वास के संगम के बीच ऐतिहासिक चौमुखनाथ धाम पर हो रही तैयारी, सुंदरीकरण के लिए विधायक सुभाष पासी ने दिए हैं 50 लाख रूपए
अशोक कुशवाहा की खास खबर
देवकली। स्थानीय ब्लाक मुख्यालय से 8 किमी उत्तर पश्चिम में शादियाबाद मार्ग पर धुवार्जुन गांव में स्थित बाबा चौमुखनाथ धाम पर प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी महाशिवरात्री पर 1 व 2 मार्च को दो दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है। इस मंदिर की मान्यता पूरे जनपद के अलावा दूर दराज के लोगों में भी काफी फैली हुई है। मान्यता है कि इस मंदिर में खुद भगवान शिव वास करते हैं और यहां से कोई खाली हाथ वापस नहीं जाता। इस मंदिर में स्थापित प्राकृतिक शिवलिंग के चारों तरफ मुख हैं जिसके चलते इसे चौमुखधाम कहा जाता है। शिवलिंग की उत्पत्ति की कहानी भी बड़ी रोचक है। कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व यहीं पर एक घनघोर जंगल था जिसमें कबीर पंथ का एक मठ था। मठ वर्तमान में भी मौजूद है। मान्यता है कि इस मठ में रहने वाले गोवंश पालने के शौकीन एक साधू नियमित रूप से एक गाय का दूध निकालते थे। एक दिन ऐसा हुआ कि गाय ने दूध देना बंद कर दिया। एक दिन वो गाय चरते हुए जंगल में जाकर एक टीले पर खड़ी हो गई और उसके थनों से बंद हो चुकी दूध की धारा स्वतः ही फूट पड़ी। कई दिनों तक चले इस क्रम के बाद हैरान साधु ने वहां जाकर देखा तो वहां 4 मुख वाला शिवलिंग दिखा। जिसके बाद उन्होंने ग्रामीणों की मदद से वहां खुदाई शुरू की। खुदाई के दौरान वहां कुएं जितनी गहराई हो गई और पानी निकलने लगा लेकिन शिवलिंग का कोई अंत नहीं मिला जिसके चलते खुदाई बंद कर ग्रामीणों के सहयोग से वहीं पर एक मंदिर बना दिया गया। वर्तमान में वही चौमुखधाम मंदिर के नाम से सर्वप्रसिद्ध है। हालांकि धाम तब और चर्चा में आया जब 1998 में ओम आनंद प्रभु ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराकर यहां स्वबोध कुंभ आयोजित कराया। जिसमें देश के साथ ही विदेशों से भी श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। समिति के अध्यक्ष बेचन राय ने बताया कि वर्तमान में मंदिर के चारो तरफ विशाल द्वार बनवाने के साथ ही करीब एक किमी दूर एक 50 फीट ऊंचे सिंहद्वार का भी निर्माण किया गया है। इस मंदिर के सुंदरीकरण के लिए सैदपुर के विधायक सुभाष पासी द्वारा शासन से 50 लाख रूपए भी स्वीकृत कराए गए हैं। बेचन राय, सुधीर पाण्डेय, राजू राजभर, दिलीप कुमार, जुगनू राजभर, मुकेश राम, सूर्यदेव राय आदि ने बताया धाम को भव्य रुप देने का जारी है। मेले की तैयारियां अंतिम चरण में हैं।